Thursday, 1 March 2018

अतीत

Hey guys, it's in hindi. Writing for the first time in hindi. Please share your views about it.......

ये अतीत के जज़्बात अजीब होते हैं,

गुज़रा हुआ वक़्त निकल तो जाता है,

मगर यादों से मन में बेसबब होते हैं।

गुमसुम जब रहता है तू, बैठता अंधियारों में,

दो बोल नहीं बोलता, सहमता है किसी के क़दमों की आहट से।

बोझ वो भारी लेकर चलता है,

भटकता शहर के अंधे उजियारों में।

कोई दिखता नहीं राहजन चलते हुए,

कोई बढ़ाता नहीं हाथ साथ निकलते हुए।

कहते हैं मगर इश्क़ में मशगूल होते हुए,

कि देंगे साथ, कदम-कदम चलते हुए।

मगर चलता कौन है साथ यह बातें ही महज़ होते हैं,

मुहब्बत सच्ची हो तो ही चल पाते,

कि राह पर कांटे भी गज़ब होते हैं।

दर्द की दीवार से जब टकराते हो,

वो ही पुराना गाना गुनगुनाते हो,

इंसान नहीं वो जज़्बात याद आते हैं,

उन दिनों को जब वापस बुलाते हो।

मगर वक़्त मुस्कराना फिर सिखा देता है,

फिर क्यों ग़मों को गले लगाते हो।

फांद जाओ वो दीवार अगर न तोड़ सको,

क्यों खुद से ही बेअदब पेश आते हो।

लोग रहते हैं खुश अपनी दुनिया में,

तुम छोड़ो क्यों दर्द के गीत गाते हो।

No comments:

Post a Comment

How to Win Friends and Influence People by Dale Carnegie - A Book Review

"There's far more information in a Smile than a frown. That's why encouragement is a much more effective teaching device than p...